रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। विमोह जोगनामोह सर्व मोग्या था था थाह स्वाहा हे गौरी शंकरार्धांगिं! यथा त्वं शंकरप्रिया। कई बार देखा जाता है कि अचानक खुले में शौच आदि के लिए जाने वाला व्यक्ति के आते ही तबीयत बिगड़ जाती है। उसपर दबाएं बेअसर हो जाती https://vashikaran07399.blogoxo.com/34429186/the-single-best-strategy-to-use-for-vashikaran