कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि https://shiv-chalisa-lyrics-in-pu69799.wiki-promo.com/143154/shiv_chalisa_lyrics_in_gujarati_pdf_an_overview